९ अप्रैल को हमारी नर्मदा परिक्रमा पूर्ण

९ अप्रैल को हमारी नर्मदा परिक्रमा पूर्ण

आज यानी ९ अप्रैल को हमारी नर्मदा परिक्रमा पूर्ण होने जा रही है।ये ३१०० किलोमीटर की परिक्रमा रही जिसे हमने १९२ दिनों में पैदल चलकर पूरा किया। माँ नर्मदा के प्रति श्रद्धा से मन विह्वल हो जाता है जब सोचती हूँ कि क्या सचमुच हमने ये कर डाला।
अपने पति का संकल्प पूरा करने में मैं सहभागी बनी ये भी माँ नर्मदा का ही आशीर्वाद था।
इस मौक़े पर मेरे पास कहने के लिए शब्द नहीं हैं बस भाव हैं। वो भाव जो अलग अलग रूपों में बह रहे हैं। सबसे बिछड़ने का भाव है तो घर लौटने का भी भाव है। भाव जो दिल से बह रहे हैं, उसे एक कवि ने कुछ इस तरह बयान किया है।

जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला
उस-उस राही को धन्यवाद..

जीवन अस्थिर अनजाने ही,
हो जाता पथ पर मेल कहीं,
सीमित पग डग, लम्बी मंज़िल,
तय कर लेना कुछ खेल नहीं

दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते,
सम्मुख चलता पथ का प्रमाद
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,
उस-उस राही को धन्यवाद

साँसों पर अवलम्बित काया,
जब चलते-चलते चूर हुई,
दो स्नेह-शब्द मिल गये,
मिली नव स्फूर्ति, थकावट दूर हुई

पथ के पहचाने छूट गये,
पर साथ-साथ चल रही याद
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,
उस-उस राही को धन्यवाद….

//]]>
बीते चार महीने से हम ग्रामीण भारत में हैं।
May 18, 2018
Rameshwar Neekhra Book Release
August 8, 2022